दलितों पर ज़बर-जुल्म के मामले 25 फीसद बढे, हाथरस में ठाकुरों को संविधान-कानून का कोई डर नहीं, थैंक्यू मोदी तो बनता है

मेरा देश बदल रहा है, आगे निकल रहा है। देश कितना बदल गया है? इसकी तस्वीर हाथरस के बूलगढी गांव में साफ देखी जा सकती है। जात-पात, ऊंच-नीच अब भी बलगूढी गांव के बाशिंदों के सिर चढ कर बोल रही है। यह वहीं गांव है यहां पिछले साल 14 सितंबर को दलित की बेटी का दुष्कर्म के बाद कत्ल कर दिया गया था। घटना के साल बाद भी स्वर्ण जात वालों का अंहकार जस का तस है। बीबीसी की रिपोर्ट में यह डरावना खुलासा हुआ है। यह खुलासा ऐसे वक्त हुआ है जब कुछ दिन पहले ही अमेरिका में ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ को लेकर जोरदार आवाज़ बुलंद हुई है।

सोशल मीडिया पर ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ को लेकर खूब हल्ला बोला गया। कार्यक्रम से पहले ही अमेरिका से लेकर दिल्ली तक हिन्दुत्व एक्टिविस्ट प्रोग्राम का विरोध करने लगे। आम आदमी पार्टी से बीजेपी में आए कपिल मिश्रा ने तो जमकर हिन्दुत्व का वकालत सोशल मीडिया पर की। शायद उसी का असर बूलगढी गांव के बाशिंदों पर है।

बीबीसी के दिलनवाज़ पाशा जब बूलगढी में पहुंचे तो स्वर्ण जाति की महिला ने इतनी अभद्र टिप्पणी की। जिसकी सभ्य समाज में कोई जगह नहीं है। इस महिला ने बीबीसी संवाददाता से कहा, ‘दलितों के घर के बाहर पुलिस बैठ जाने से यह ठाकुर नहीं बन जाएंगे। रहेंगे वहीं दलित।’ महिला के वाक्य में ऊंची जाति से होने का अभिमान, दलितों के प्रति तिरस्कार और भारत के संविधान और क़ानून के प्रति बेरुख़ी बिलकुल साफ़ थी। बीबीसी संवाददाता लिखते हैं,  -महिला दलितों के प्रति जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रही थी। उसे यह एहसास ही नहीं था कि संविधान के मुताबिक यह सब जुल्म की श्रेणी में आता है-।

अमेरिका में हुए डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व कार्यक्रम में इन्ही मुद्दों पर ही तो चिंता जताई गई थी। कार्यक्रम के आयोजकों में से एक ज्ञान प्रकाश का कहना है कि  हिंदुत्व भारत के मुसलमानों के ख़िलाफ़ है, भारत के दलितों के ख़िलाफ़ है और भारत की महिलाओं के ख़िलाफ़ है। इसका सबूत यह भी है कि हाथरस के दलित परिवार के साथ घटी घटना के बाद सूबाई सरकार ने जो वादे किए थे। उसमें से किसी को भी पूरा नहीं किया गया। पीडित परिवार के लडकों की नौकरियां चली गईं। आमदनी का कोई साधान नहीं बचा। सुरक्षा अमले के साथ परिवार की मासूम दूध लेने गई। बच्ची थी चारपाई पर बैठ गई। स्वर्णों से यह भी बर्दाश्त नहीं हुआ। दुत्कार कर मासूम बच्ची को उठा दिया।

पूरा परिवार एक तरह से घर पर ही नजरबंद है। मुल्क में दलितों पर जुल्म-ज़बर किस हद तक बढ गया है। इसका खुलासा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने कर दिया है। ब्यूरो का मानना है कि हर 10 मिनट में दलितों पर किसी न किसी जगह पर जुल्म होता है। पिछले एक साल में जुल्म के यह मामले 9.4 फीसद की दर से बढे हैं। इसके साथ ही एसटी पर भी इसी जुल्म का प्रतिशत 9.3 है। इस जुल्म-ज़बर की बानगी यूपी में सबसे ज्यादा है। फिर बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश आते हैं। यूपी में दलितों पर ज़बर-जुल्म का आकडा 25 फीसद बढा है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का यह आकडा ‘डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’ कार्यक्रम के बाद सामने आया है। कार्यक्रम को हिन्दुओं के खिलाफ प्रोपेगंडा और नेरेटिव की संज्ञा दलितों पर ज़बर-जुल्म करने वालों ने दी है। लेकिन नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने आयोजकों की फिकर की पुष्टि कर दी है। यूपी में 17 सितंबर से थैंक्यू मोदी मुहिम शुरु हो जा रही है। यह मुहिम पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस और योगी आदित्यनाथ की सरकार के साढे 4 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में शुरु होने जा रही है। दलितों पर ज़बर-जुल्म के 25 फीसद मामले सिर्फ यूपी में ही बढे। हाथरस के दलितों परिवार को साल भर में इनसाफ तो नहीं लेकिन स्वर्णों की दबंगाई के चलते घर में ही नज़रबंदी मिली। थैंक्यू मोदी तो बनता ही है।

-मनोज नैय्यर

journalistmanojnayyar@gmail.com

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